भगवान् शिव की आरती – शीश गंग अर्धंग पार्वती सदा विराजत कैलाशी
तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
दानव दल पर टूट पड़ो माँ कर के सिंह सवारी ।
तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
माता तेरे भक्त जानो पर भीड़ पड़ी है भारी,
जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी लिरिक्स
माँ-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता,
(ओ अम्बे, तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली)
चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
दो भुज चार here चतुर्भुज दस भुज अति सोहे, तीनो रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे ।।
पूत-कपूत सुने हैं पर ना माता सुनी कुमाता
पूत-कपूत सुने हैं पर ना माता सुनी कुमाता
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बिना अम्बे जी की आरती गाए नवरात्रि अधूरी है।